Parenting Tips: बच्चों को जरूर बताएं लोगों के बर्ताव से जुड़ी ये 4 बातें, घर हो या बाहर हमेशा रहेंगे सेफ

आज के समय में सुरक्षा सबसे बड़ा चैलेंज बना हुआ है। आए दिन जिस तरह की घटनाएं देखने और सुनने को मिल रही हैं, इसके बाद से हर पेरेंट्स को अपने बच्चों की सेफ्टी को लेकर बहुत चिंता रहती है। घर से बाहर तो छोड़ ही दो कई बार घर के अंदर भी बच्चे सेफ नहीं होते। अधिकतर बार जाने-पहचाने अपने लोग ही हैवान बन बैठते हैं। ऐसे में बच्चों को छोटी उम्र से ही लोगों के बिहेवियर के बारे में कुछ बातें बताना बेहद जरूरी हो जाता है। एक जिम्मेदार पेरेंट होने के नाते बच्चों को कम उम्र से ही सही लोगों की पहचान करना सिखाएं। बच्चों को समझाएं कि कौन सा इंसान भरोसेमंद और विश्वासनीय है और किस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। तो चलिए जानते हैं की इस बार में बच्चों से कैसे बात की जाए।
व्यवहार देखकर करें सही इंसान की पहचान
ऐसा नहीं है कि सिर्फ परिवार के लोग ही विश्वसनीय और भरोसेमंद हो सकते हैं और बाहरी लोग हमेशा खराब ही होते हैं। कई बार बच्चों को उनके करीबी ही नुकसान पहुंचा सकते हैं और बाहरी लोग हेल्पफुल साबित होते हैं। इसलिए आपको अपने बच्चों को समझदारी से यह बात समझानी होगी कि परिवार और बाहरी लोगों पर भरोसा उनके व्यवहार को देखकर करें, ना कि उनके करीबी और बाहरी होने के आधार पर। उन्हें बताएं कि अगर आपके साथ कोई ऐसा व्यवहार करता है जिसे आप पसंद नहीं कर रहे हैं तो तुरंत उससे दूर हो जाएं और अपने पैरेंट्स को इनफॉर्म करें।
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उम्र देखकर ना करें भरोसा
यह जरूरी नहीं कि हमेशा बड़े ही सही हो सकते हैं। हम अक्सर बच्चों को सिखाते हैं कि बड़े हमेशा ठीक होते हैं और बच्चों को हर हाल में उनकी बात माननी चाहिए। ऐसे में कभी भी अगर बच्चे के साथ कोई बड़ा कुछ गलत करता है तो बच्चा उसके खिलाफ बोलने के बजाए अपने आप को ही गलत समझने लगता है। इसलिए बच्चों को उम्र के आधार पर नहीं बल्कि इंसान के बिहेवियर के आधार पर रिस्पेक्ट करना सिखाएं। उसे बताएं की अगर कोई बड़ा भी कुछ गलत करते है तो उसके खिलाफ आवाज उठाने में बिल्कुल ना हिचकिचाएं।
जिनके साथ सहज महसूस करे बच्चा उन्हीं पर करे भरोसा
हर इंसान के अंदर एक गट फीलिंग जरूर होती है, जिससे उसे अच्छे और बुरे का एहसास हो जाता है। कई बार बच्चे घर के कुछ सदस्यों और रिश्तेदारों के साथ सहज महसूस करते हैं तो वहीं कुछ करीबियों को देखकर काफी अनकंफर्टेबल महसूस करने लगते हैं। बच्चों के इस एहसास को नजर अंदाज ना करें। बल्कि उन्हें समझाएं की जिसके साथ आप सहज और सुरक्षित महसूस करते हो उन्हीं पर भरोसा करें।
कोई ना क्रॉस कर पाए आपकी बाउंड्री
एक जिम्मेदार पेरेंट होने के नाते बच्चों को उनकी बाउंड्रीज बताना आपका काम है। बच्चों को सही-गलत और उनकी मेंटल और फिजिकल बाउंड्रीज के बारे में बताएं। उन्हें बताएं की मजाक में भी कोई उनकी बाउंड्रीज को क्रॉस ना करें। वो चाहे कोई बाहरी व्यक्ति हो या घर का कोई खास। बच्चों को बताएं की अगर कोई उनके साथ लिमिट क्रॉस करता है तो वो उसके खिलाफ तुरंत आवाज उठाएं और आपको इनफॉर्म करें।
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